इसमें कोई संदेह नहीं है कि कई बार रैगिंग में इतनी क्रूरता पाई जाती है कि उसमे कभी-कभी महाविद्यालयों के विशेष कर व्यवसायी पाठ्यक्रमों में नए प्रवेशार्थी के जीवन बर्बाद किये है । इसलिए रैगिंग का किसी भी तरह का समर्थन गलत है । रैगिंग विरोधी कड़े कानून कि आवश्यकता है । यह कानून विशेष रूप में तब उपयोगी साबित होता है जब कोई प्राचार्य या प्राध्यापक रैगिंग में गुंडा तत्वों के बचाव में लगे हो । सजा का प्रावधान जरूरी है, लेकिन छात्रों को शिक्षा से पूरी तरह वंचित नहीं कर देना चाहिए । उसे एक साल के लिए कॉलेज से निकल देना चाहिए और सामाजिक कार्य में लगा देना चाहिए । योग और धयान भी सिद्ध हो सकते है । लेकिन शारीरक पीडा देने वालो पर पुलिस कि सामान्य दंड अधिनियम (IPC) के तहत कार्यवाही होनी चाहिए । कॉलेज में सीनियर छात्रों और प्राध्यापकों कि शिष्ट अनुपालन समिति गठित होनी चाहिए । कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए स्वागत समारोह आयोजन सीनियर छात्रों के माध्यम से अनिवार्य होना चाहिए । रैगिंग के सन्दर्भ में छात्रों को व्यापक प्रावधान कि आवश्यकता है I
1 comment:
aapne sahi likha hai. raging virodhi kanoon banana chahiye
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