दुश्मनों को देश की ज़मीन से निकाल दो
राष्ट्र का विजय निशान व्योम में उछाल दो
नौजवान जागो रे ........
शत्रु की चुनौतियां रोज़ तो न आएगी
नाजनीन घाटियाँ रोज़ कब बुलाएगी
खुफ्नाक बदलियाँ रोज़ तो न छायेगी
देश के शरीर में नवीन प्राण डाल दो
नौजवान जागो रे.......
युद्ध में पछाड़ के आतंकी दुष्ट को
मार कर खदेड़ दो देश से कमीन को
मुक्त करो साथियों देश की ज़मीन को
देश के शरीर में नवीन प्राण डाल दो
नौजवान जागो रे.......
वही सपूत भेट में जो हर ख़ुशी चढ़ा सके
है आदमी वो आदमी, जो अपना सर कटा सके
है ज़िन्दगी वो ज़िन्दगी, वतन के काम आ सके
नाच नाच युद्ध में झूम झूम ताल दो
नौजवान जागो रे......
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